मैरवा के फलाहारी बाबा, जिन्हें चंदन दास महाराज के नाम से भी जाना जाता है। यह फलाहारी बाबा मैरवा, बिहार में रहते हैं। वह माँ काली के भक्त हैं और माँ काली से प्रसाद के रूप में कुछ भी प्रकट कर देते हैं। फलाहरी बाबा का दावा है कि 2025 तक पानी पर चलने की सिद्धि प्राप्त कर लेंगे। उनका कहना है कि पौधे पर बैठ के कही भी देश - विदेश जा सकते हैं। ऐसा दावा कर रहे चन्दन दास उर्फ़ फलाहारी बाबा में कितनी सच्चाई है ये तो समय बताएगा। वह अपने तांत्रिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हें एक संत के रूप में लोग मानते हैं जो एक ऐसी जीवनशैली को बढ़ावा देते हैं जिसमें पवित्रता, आत्म-अनुशासन और भक्ति पर जोर दिया जाता है।
फलाहारी बाबा विशेष रूप से शाकाहारी या "फलाहारी" (फल-आधारित) आहार पर जोर देने के साथ-साथ ध्यान और आध्यात्मिक प्रथाओं पर उनकी शिक्षाओं के लिए जाने जाते हैं।
मैरवा के फलाहारी बाबा, जिन्हें चंदन दास महाराज के नाम से भी जाना जाता है, एक स्थानीय आध्यात्मिक व्यक्ति प्रतीत होते हैं जो दिव्य अनुभवों का दावा करते हैं और भक्ति प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं। उनकी विषय-वस्तु और भाषण इस बात पर जोर देते हैं कि वे भक्तों और ईश्वर के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं, अनुयायियों से आग्रह करते हैं कि वे केवल उन पर निर्भर रहने के बजाय सीधे देवी से आशीर्वाद मांगें। उन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक दावों और प्रथाओं के माध्यम से ध्यान आकर्षित किया है। हालाँकि, उनके इर्द-गिर्द विवाद हैं, कुछ लोग उनकी प्रथाओं की आलोचना भी करते हैं।
क्या ये फलाहारी बाबा भरोसे के काबिल हैं ? मैरवा के चंदन दास महाराज के नाम से भी जाने जाने वाले फलाहारी बाबा की विश्वसनीयता मिश्रित धारणाओं के कारण संदिग्ध है। एक ओर, उन्होंने दिव्य आशीर्वाद की सुविधा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करने का दावा करके अनुयायियों को आकर्षित किया है। वे इस बात पर जोर देते हैं कि वे अपने अनुयायियों की ओर से एक दिव्य सत्ता यानि माँ काली से आशीर्वाद मांगते हैं, जिसने लोगों को उनकी ओर आकर्षित किया है।
हालाँकि, कई स्वयंभू आध्यात्मिक बाबाओं की तरह, उनकी प्रथाएँ भी जांच के दायरे में आ गई हैं। कुछ स्रोत सुझाव देते हैं कि उनके तरीकों और इरादों के विवादास्पद पहलू हो सकते हैं ।
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