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मधुमेह और ह्रदय रोगियों के लिए वरदान है कोदो

kodo millet

कोद्रव को कोदो (varagu) भी कहते हैं। इसकी खेती की जाती है। Kodo का पौधा धान के जैसा ही 

होता है, लेकिन खास बात यह है कि इसकी खेती में धान से बहुत कम पानी की जरूरत होती है। लोग कोदो या कोद्रव के बारे में इतना ही जानते हैं, लेकिन असलियत यह है कि Kodo एक बहुत ही गुणी औषधि रूप में काम करता है। कोदो (कोद्रव) से रोगों का इलाज किया जा सकता है।

Kodo Millet को वैज्ञानिक रूप से Paspalum scrobiculatum के रूप में जाना जाता है, यह एक वार्षिक अनाज है जो मुख्य रूप से भारत में उगाया जाता है, लेकिन यह फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड और पश्चिम अफ्रीका में भी पाया जाता है जहां इसकी खेती होती है। कोदो भारत के कुछ हिस्सों में एक लोकप्रिय उपवास का भोजन है। कोदो का चावल, लस मुक्त और फाइबर, विटामिन और खनिजों से समृद्ध है। यह अफ्रीका और अन्य जगहों पर निर्वाह किसानों को पौष्टिक

भोजन प्रदान करने की बड़ी क्षमता रखता है। Kodo Rice लस मुक्त, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, उच्च फाइबर के अलावा आहार फाइबर और प्रोटीन में बहुत समृद्ध है।
कोदो चावल Blood Sugar और Cholesterol को नियंत्रित करने में मदद करता है। शाकाहारी आहार के लिए फलियां के साथ संयुक्त होने पर प्रोटीन स्रोत को पूरा करता है। कोदो चावल का सेवन ट्राइग्लिसराइड्स और सी-रिएक्टिव प्रोटीन को कम करता है। इसमें Antioxidant की मात्रा अधिक होती है और यह मधुमेह के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है। कोदो मिलेट के चावल को अच्छी तरह धोकर पकाया जाता है। 

कोदो के चावल में 8.3 प्रतिशत प्रोटीन, 1.4 प्रतिशत वसा तथा 65.9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट पाई जाती है। कोदो-कुटकी मधुमेह को नियन्त्रण करने वाला तथा यकृत (गुर्दों) और मूत्राशय के लिए लाभकारी है।

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