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अंग प्रदर्शन क्यों बन गया है पैसा कमाने का साधन ? मांस परोसती है फिल्म इंडस्ट्री

Maans Parosati Film Industry

बेवड़ों को पता नहीं कि हम क्या कर रहे हैं। यह बेवड़े अपने को हीरो मानते हैं।  नायक मानते हैं, लेकिन यह बेवड़े यह नहीं जानते कि हम समाज के सामने क्या पेश कर रहे हैं। घटिया से घटिया सामग्री समाज के सामने पेश किया जा रहा है। बड़े दुख की बात है, इस घटिया सामग्री को देख कर भी कुछ लोग खुश होते हैं। उन्हें तनिक भी पता नहीं है कि जिन्हे हम सिर आंखों पर बिठा रखे हैं, वह हमें किस तरफ ले जा रहे हैं।

हीरो यानी नायक एक बहुत ही पवित्र शब्द है। नायक का मतलब होता है वह जो तुम्हारा नेतृत्व कर सके । लेकिन यहाँ तो सब उल्टा हो रहा है। इन फिल्म इंडस्ट्री के नायकों को  नग्नता के सिवा कुछ सूझता ही नहीं है। फिल्म इंडस्ट्री के जितने भी निर्माता निर्देशक, पटकथा लेखक और नायक, नायिका हैं, सब मिलकर समाज का शोषण कर रहे हैं। इनको पता है कि हमारी जो फिल्म है उसकी कहानी को लोग भले न पसंद करें, लेकिन अभिनेत्री की जांघ और टांग को लोग जरूर देखने आएंगे। आज समय ऐसा आ गया है कि पैसे के लिए यह सारे बेवड़े गिरा से गिरा कर्म भी करने से नहीं चूक रहे हैं। इनको सिर्फ पैसा दिखता है समाज नहीं। 

आप गौर से सोच कर देखिए अगर कोई बेवड़ा नंगा होकर समाज के सामने अपनी नंगी तस्वीर वायरल करवा रहा है तो उसका मकसद क्या है, वह चाहता क्या है? अगर उसे नंगे होने से खुशी मिलती, तो वह रोज अपने बाथरूम में नंगा होता है वहीँ  खुश हो जाता। लेकिन समाज के सामने नंगी तस्वीर वायरल करवा रहा है इसका मतलब सिर्फ पैसा और शोहरत हो सकता है। 

कई लोग बोलते हैं कि मेरी बेटी तो स्टार बन गई है। कुछ को तो उससे ऊपर की भी उपाधि दी जाती है जिसे सुपरस्टार करते हैं। अगर आप सिनेमा देखने जाते हैं तो आप गौर से देखिए उस सुपरस्टार को किस तरह दिखाया जा रहा है। उसे केवल एक भोग का साधन बनाकर उसके जिस्म की आकर्षक और उत्तेजित करने वाले हिस्से को जूम करके स्लो मोशन में दिखाया जाता है ताकि लोग आकर्षित और उत्तेजित हों।  

कहते हैं मेरी बेटी तो अभिनेत्री है। अरे ! खाक अभिनेत्री है, तेरी बेटी में नेतृत्व करने की क्षमता है क्या? अभिनय के नाम पर तेरी बेटी का जिस्म परोसा जा रहा है। तुझे देखकर जरा भी शर्म नहीं आती है। स्टार-स्टार चिल्लाते हो। अगर जरा भी शर्म है इन जिस्म बेचने वाली अभिनेत्रियों के मां-बाप को तो इस पर रोक लगाएं, की हमारी बेटी के उत्तेजित और आकर्षक हिस्से को इस तरह न परोसा जाए। 

अरे, जब तुम्हारी बेटी बिकनी में बिक सकती है तो पोर्न होने में अब बचा ही क्या है । कई निर्माता निर्देशक और लोग मिल जाएंगे ऐसा कहने वाले कि यह तो समाज की डिमांड है। भाई ! समाज की तो बहुत कुछ डिमांड है तुम उसकी भी तो पूर्ति करो। 

कई भोजपुरी फिल्मों के स्टार कहते हैं कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत गंध फैलाया गया है, लेकिन जो यह बात कहते हैं वह और ज्यादा गंदगी को फैला रखें हैं। यह बेवड़े बोलते हैं हम हीरो हैं। अरे ! बेवकूफों तुम्हारे पास नायक बनने की क्षमता भी है क्या ? नायक का मतलब होता है नेतृत्व करना। तुम किसका नेतृत्व कर रहे हो ? एक से एक घटिया किरदार निभाकर समाज के सामने दिखा रहे हो और तुम कहते हो मैं हीरो हूं। 

बॉलीवुड फिल्म में अभिनेत्रियों का जिस्म आँका जाता है कि उनकी कमर की साइज क्या है ? उनकी ब्रेस्ट साइज क्या है ? उनकी हाइट क्या है ? बहुत सारी चीजें नापतोल करने के बाद उनको फिल्मों में स्थान दिया जाता है। उसके बाद उनके जिस्म को एक नुमाइश का वस्तु मानकर आकर्षित और उत्तेजित करने वाले हिस्से को सूट करके पर्दे पर दिखाया जाता है। उनके जिस्म को दिखाने का मतलब है, सिर्फ लोगों को आकर्षित और उत्तेजित करना। अगर फिल्मों में अभिनेत्रियों के अंग प्रदर्शन को रोक दिया जाए तो एक भी फिल्म शायद चले। क्योंकि जो हीरो है उनके अंदर उतनी कला कौशल नहीं है या जो फिल्मों की कहानी है उसमें कोई दम नहीं होता है, इसलिए अभिनेत्रियों को पैसा कमाने का मोहरा बनाया जाता है। फिल्म के नाम पर जांघ और टांग को बेचा जाता है। बड़े दुख की बात है हम लोग भी टांग और जांघ देखने के लिए ₹300 का टिकट खरीद कर देखने भी जाते हैं। और वह सारा कचरा अपने दिमाग में भरकर घर ले आते हैं। 

आज की फिल्म इंडस्ट्री हीरोइनों के जांघ और मांस पर टिकी है। जब तक हॉट चुम्बन या हॉट छेड़छाड़ न हो फिल्म चलती ही नहीं है। नॉनवेज का जमाना है। उन्हें पता है जबतक नॉनवेज नहीं परोसेंगे फिल्म नहीं चलेगी। आज के फिल्मों में न तो कहानी में कुछ दम होता है और नहीं कलाकार में कुछ ऐसी कला होती है, जिससे लोग खुश हो जाएँ। ले दे के स्त्रियों का टांग और जांघ बचा है बेचने लिए। इसलिए निर्माता निर्देशकों के पैसा कमाने का एकमात्र जरिया एक्ट्रेसों के जिस्म को बेचना रह गया है। पापा के परियों की जिंदगी अब लोगों के मनोरंजन का साधन बन गया है। हमलोग भी कितने नादान हैं, जो 200 और 400 का टिकट खरीदकर सिनेमा घरों से गंदगी उठाकर अपने घर लाते हैं। वही गन्दा संस्कार फिर हमारे घर परिवार को तोड़ने और मरोड़ने का काम करता है। हमारा दिमाग तो कम्प्यूटर की तरह है जैसा डाटा फीड करते हैं वैसा हमारा व्यवहार बन जाता है।


बड़े शौक से कहते हैं कि हम रणवीर कपूर के फैन हैं या करीना कपूर का फैन हैं, और उनकी भेषभूषा भी अपनाने की कोशिश करते हैं। हम ये नहीं सोचते हैं कि ये लोग समाज को क्या दे रहे हैं। ये लोग समाज को नंगापन सीखा रहा हैं। समाज में चरित्रहीनता का पाठ पढ़ा रहे हैं। इन लोगो की निजी जिंदगी देखें तो ये लोग चावल दाल की तरह अपनी बीबियां इस्तेमाल करते हैं। इनका एक ही धर्म है कैसे वेराइएटी – वेराइएटी के भोग भोगे जाएँ। इनके देखा देखी अब दूसरे लोग भी इन्ही के मार्ग पर चल पड़े हैं। उनको लगता है यही जिंदगी है।


एक हीरो एक एक्ट्रेस को कैसे चाटता है और कैसे उसको बाकी अंगों को सहलाता है। यही सब आज के सिनेमा घरों में देखने को मिल रहा है। हम पैसे लगाकर यही सब खरीदकर लाते हैं। जब पापा की परी कोई गलत कदम उठाती है तब पापा को अफ़सोस होता है। जबकि यह सब हमारी ही देन है।

जब भी फिल्म इंडस्ट्रीज के किसी हीरो या हेरोइन को देखें तो एक बार जरूर सोचें कि ये लोग समाज को क्या दे रहे हैं। हमारा ही पैसे पर जीने वाले ये लोग हमें ही बेबकूफ बनाकर हमारी ही जिंदगी ख़राब कर रहे हैं। चुम्बन और आलिंगन करना इनका धंधा है। हम बड़े गर्व से कहते हैं कि ये फलाना हीरो है या हेरोइन है। हम उनका चरित्र नहीं देखते हैं कि ये लोग कर क्या रहे हैं। देश और समाज को चरित्रहीनता का पाठ पढ़ा रहे हैं। अगर ये अभिनेता चाहते तो गन्दी फिल्मो की जगह अच्छी फिल्मे बनाकर हमारे देश की छवि बदल देते। इनको को सिर्फ पैसे से मतलब है।

13 thoughts on “अंग प्रदर्शन क्यों बन गया है पैसा कमाने का साधन ? मांस परोसती है फिल्म इंडस्ट्री

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